कोर्ट ने कहा है कि, स्कूल यूनिफार्म को लेकर बाध्यता एक उचित प्रबंधन है। छात्र या छात्रा इसके लिए इंकार नहीं कर सकते हैं। फैसला आने के बाद सभी न्यायाधीशों की सुरक्षा बड़ा दी गई है। इस मामले की सुनवाई के लिए नौ फरवरी को चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की बेंच का गठन किया गया था। लड़कियों की ओर से याचिका दायर कर मांग की गई थी कि, क्लास के दौरान भी उन्हें हिजाब पहनने की अनुमति दी जाए, क्योंकि हिजाब उनके धर्म का अनिवार्य हिस्सा है।
25 फरवरी को पूरी कर ली थी सुनवाई
भाजपा ने कांग्रेस पर साधा निशाना
कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर भारतीय जनता पार्टी ने प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने लिखा, ‘सत्यमेव जयते… कांग्रेस और पीएफआई के जो लोग हिजाब का राजनीतिकरण कर रहे थे और लोगों के दिमाग में जहर घोल रहे थे उन्हें कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले से जवाब दे दिया है। ये लोग अपने वोटबैंक की गंदी राजनीति कर रहे थे। उम्मीद है कि कांग्रेस अब फूट डालो और राज करो की गंदी राजनीति बंद कर देगी।’
क्या है विवाद का कारण
कर्नाटक सरकार ने राज्य में कर्नाटक एजुकेशन एक्ट-1983 की धारा 133 लागू की थी। इसके तहत सभी स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म अनिवार्य कर दी गई है। ऐसे में सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में तय यूनिफॉर्म ही पहननी होगी। वहीं, प्राइवेट स्कूल भी अपनी यूनिफॉर्म चुन सकते हैं। जानकारी के मुताबिक, कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद की शुरुआत जनवरी 2022 के दौरान हुई थी। उस वक्त उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में छह छात्राएं हिजाब पहनकर कॉलेज पहुंच गई थीं। बताया जा रहा है कि कुछ दिन पहले ही कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं को हिजाब पहनने के लिए मना किया था। इसके बावजूद छात्राएं हिजाब पहनकर पहुंचीं। उन्हें रोका गया तो दूसरे कॉलेजों में भी विवाद होने लगा।