पटियाला। प्रदेश में रोपड़ व तलवंडी साबो थर्मल प्लांटों के दो-दो और गोइंदवाल साहिब के एक थर्मल यूनिट के बंद होने से बिजली संकट गहरा गया है। गुरुवार को बिजली की मांग और आपूर्ति में 2000 मेगावाट के अंतर के कारण पावरकाम को प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में 10 से 12 घंटे तक बिजली कट लगाने पड़े। बिजली संकट के कारण लोगों के बढ़ते रोष को देखते हुए पावरकाम ने विभिन्न गांवों में गुरुद्वारों से अनाउंसमेंट करवाकर संकट की घड़ी में लोगों के सहयोग की मांग करनी पड़ी। तर्क दिया गया कि पांच थर्मल यूनिट बंद होने के कारण करीब 800 मेगावाट बिजली दी कमी हो गई है और जल्द ही इसे दूर कर दिया जाएगा।
धान के सीजन से पहले बिजली की कमी के कारण किसानों ने विभिन्न स्थानों पर रोष प्रदर्शन किया। जालंधर में पावरकाम के शक्ति सदन का घेराव कर चेतावनी दी कि अगर बिलजी आपूर्ति नियमित न हुई तो संघर्ष को और तेज किया जाएगा। इसी बीच पावरकाम के चेयरमैन बलदेव सिंह सरां ने नई दिल्ली में कोयला मंत्रालय के अधिकारियों के साथ में बैठक कर प्रदेश के थर्मल प्लांटों के लिए कोयला सप्लाई बढ़ाए जाने की मांग की। पावरकाम अप्रैल माह में अन्य राज्यों से 12 रुपये प्रति यूनिट की दर से महंगी बिजली की खरीद के लिए 294 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है।
गुरुवार को प्रदेश में बिजली की अधिकतम मांग 7763 मेगावाट रही। अपने स्त्रोत के अलावा पावरकाम ने सेंट्रल पूल से 3364 मेगावाट बिजली हासिल की ताकि आपूर्ति को सुचारू रखा सके, लेकिन इसके बावजूद शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में 10 से 12 घंटे तक कट लगाने पड़े। बिजली कटों के संबंध में गुरुवार को पावरकाम को 24 हजार शिकायतें मिलीं।
बिजली मंत्री बिजली मंत्री हरभजन सिंह ने इस संकट के लिए पिछली कांग्रेस सरकार जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने गर्मी के इस सीजन के लिए कोई तैयारी नहीं की थी। पिछले साल के मुकाबले इस बार बिजली की मांग 40 प्रतिशत बढ़ गई है। तकनीकि खामियों के कारण 26 अप्रैल से बंद पड़े तलवंडी साबो और रोपड़ थर्मल प्लांट के यूनिट शुक्रवार से उत्पादन शुरू कर देंगे। इससे राहत मिलने की उम्मीद है।