बिलासपुर में जमीन देखने के बहाने चार लोगों ने एक प्रॉपर्टी डीलर को अगवा कर लिया। इसके बाद 5 लाख की फिरौती मांगने लगे। इस दौरान प्रॉपर्टी डीलर का भाई अपने साथियों के साथ पहुंच गया तो अपहरणकर्ता उसे छोड़कर भाग निकले। वारदात 25 मार्च की है। पुलिस ने इस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। जबकि बाकी तीन पकड़ से बाहर हैं। मामला सरकंडा थाना क्षेत्र का है।
चांटीडीह में सचिन जायसवाल (19) पुत्र घासीराम प्रापर्टी डीलर है। उसके साथ उसका भाई संदीप जायसवाल भी जमीन खरीदी-बिक्री का काम करता है। 25 मार्च को चार युवक ग्राहक बनकर जमीन देखने आए थे। सचिन उन्हें अपनी कार मोपका बाइपास पर जमीन दिखाने के लिए ले गया। सुनसान जगह पर पहुंचने के बाद युवकों ने प्लास्टिक की पाइप से उसकी पिटाई कर गाली-गलौज करने लगे।
सचिन को कुछ समझ नहीं आया। फिर युवकों ने उससे कार की चाबी छीन ली और उसे डरा-धमका कर अपने साथ ले गए। युवकों ने उसे बंधक बना लिया और बैमा नगोई रोड की तरफ ले गए। पूरे दिन साथ रखने के बाद रात को अपहरणकर्ता ने सचिन को अपने भाई संदीप जायसवाल को फोन लगाने के लिए बोला और पांच लाख रुपए फिरौती मांगी।
पुलिस ने 27 मार्च को दर्ज किया केस
अपहरणकर्ता ने उससे रुपए लेकर बैमा नगाई रोड में आने को कहा। रात करीब 11 बजे जब संदीप अपने दोस्तों के साथ उसे खोजते हुए पहुंचा, तो अपहरणकर्ता छोड़कर भाग निकले। सचिन ने इस घटना की जानकारी अपने भाई संदीप व उसके दोस्तों को दी। डरे-सहमे सचिन को उसके भाई संदीप और उसके दोस्त घर लेकर आ गए।
एक आरोपी गिरफ्तार, तीन फरार
दूसरे दिन उन्होंने इस घटना की सूचना पुलिस को दी। पुलिस इस मामले की जांच करती रही। अपहरण के इस मामले में पुलिस ने जांच के दौरान रतनपुर क्षेत्र के नेवसा निवासी समीर सूर्यवंशी (20) को पकड़ लिया, तब इस मामले में धारा 294, 34, 341, 384, 506 के तहत केस दर्ज किया। उससे पूछताछ में पता चला कि उसके तीन अन्य साथी फरार हैं, जिनकी तलाश की जा रही है।
एडवोकेट बोले- अपहरण का केस दर्ज होना चाहिए
एडवोकेट जुगल पांडेय का कहना है कि जिस तरह से घटना हुई, प्रॉपर्टी डीलर को बंधक बनाकर मारपीट किया गया है और फिरौती की मांग की गई है। उसके बयान के आधार पर कानून रूप से अपहरण का केस दर्ज किया जाना चाहिए था। शहर में इस तरह की घटना गंभीर किस्म का अपराध है। ऐसे गंभीर मामलों में पुलिस को कानून के हिसाब के काम करना चाहिए। गंभीर अपराधों में सामान्य धाराओं के तहत कार्रवाई करने से अपराधियों को इसका लाभ मिलता है और पीड़ित पक्ष को न्याय नहीं मिल पाता है।