रेलवे का कबाड़ से जुगाड़ वाला दफ्तर:SERC ने बेकार कोच की पलटी काया, अब कर्मचारी बैठकर काम करते हैं, महिलाओं के लिए रेस्ट रूम भी

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) के जोनल स्टेशन यानी बिलासपुर ने कबाड़ हो चुके रेलवे कोच को दफ्तर में बदल दिया है। यहां बैठने के लिए कुर्सिंयां और मेज हैं, सामान रखने के लिए अलमारी है। खास बात यह है कि महिलाओं के लिए लंच और फिर आराम के लिए रेस्ट रूम तक की व्यवस्था इसमें है। इस दफ्तर में काम भी शुरू हो गया है। ऐसे दफ्तर को बनाकर रेलवे ने भवन निर्माण में होने वाला लाखों रुपए का खर्च भी बचा लिया है। रेलवे इंजीनियरों के कबाड़ से किए इस जुगाड़ को देखकर अफसर भी खूब तारीफ कर रहे हैं।

दरअसल, रेलवे के कोचीन डिपो के इंजीनियरों ने पुराने जर्जर हो चुके ट्रेन के AC कोच को उपयोग में लाने के लिए इसे दफ्तर बनाया है। रेलवे के नियमों के अनुसार कोच के बेकार होने के बाद उसे रिजेक्ट कर दिया गया था। ऐसे में अक्सर यह कबाड़ में नीलाम होता है, पर यार्ड में इस बेकार कोच को खड़ा देख इंजीनियरों ने ऑफिस बनाने की तरकीब निकाल दी। अब रेलवे को अधिकारी-कर्मचारियों के ऑफिस के लिए भवन बनाने में लाखों रुपए खर्च होता, जबकि इस कबाड़ हो चुके कोच का दफ्तर बिना किसी खास लागत के बनकर तैयार हो गया।

इस दफ्तर में दो-दो कंपार्टमेंट और 6 लोगों के बैठने की व्यवस्था

कोचीन डिपो के इंजीनियरों की टीम ने ट्रेन की इस बोगी में लगी स्लीपर सीटों को निकालकर स्पेस दिया है। इसमें टेबल, कुर्सी, अलमारी और फाइल रखने का इंतजाम किया गया है। अब इस कोच में कोचीन यार्ड के अधिकारी और कर्मचारी बैठकर अपने ऑफिशियल कामकाज निपटा रहे हैं। इस ऑफिस में 6 लोगों के बैठने के लिए दो-दो कंपार्टमेंट को एक-एक रूम का आकार दिया गया है। लेकिन, बाहर से इसे देखकर कोई नहीं कह सकता कि ट्रेन के कोच में ऑफिस संचालित हो रहा है।

कोच के आकार और उपकरण नहीं बदले गए
ट्रेन के इस कोच में महिला कर्मियों के लिए दो कंपार्टमेंट में एक रूम भी तैयार किया गया है। दोपहर में महिला कर्मी यहां बैठकर लंच करने के साथ ही आराम भी कर सकती हैं। खास बात यह भी है कि कोच के आकार में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। यहां टायलेट, वॉशबेसिन, लाइट और पंखे ट्रेन के डिब्बों की तरह लगे हुए हैं।

  • whatsapp

Related news

Related news