सुकमा में शनिवार का दिन ऐतिहासिक हो गया। नक्सली साए में रहने वाले युवा, महिलाएं और बुजुर्ग विकास के लिए ‘नक्सल’ गढ़ की सीमाओं को लांघ गए। जिले के धुर नक्सल प्रभावित गांव उसक्वाया से निकल कर ग्रामीण अफसरों के पास पहुंचे। कहा कि उन्हें अब गांव में सड़कें, बिजली, पानी, स्कूल और अस्पताल चाहिए। उनकी समस्याओं को जल्द दूर किया जाए। इसको लेकर एक ज्ञापन भी सौंपा।
दरअसल, प्रदेश के अंतिम छोर पर कोंटा का बंडा ग्राम पंचायत का गांव है उसक्वाया। यह पूरा गांव नक्सल प्रभावित है। कहते हैं, नक्सलियों के डर से इस गांव के लोग कभी बाहर ही नहीं निकले। हालात यह थे कि शहरी लोगों से कटे और डरे हुए रहते थे। अफसर क्या होते हैं, उन्हें भी नहीं देखा। हां, कलेक्टर का नाम जरूर सुना था। अब शनिवार को गांव के युवा, महिलाएं और बुजुर्ग अपनी मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर कोंटा पहुंच गए।