हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के साथ लगते तारा देवी के जंगल में 80 घंटे से अधिक समय बाद भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक बीती शाम तक 7 किलोमीटर क्षेत्र में आग नुकसान कर चुकी है। आग रातभर और अभी भी लगी हुई है।
SDMA के अनुसार, शनिवार देर शाम तक ITBP के 120 जवान, वन विभाग के 15 कर्मी और 3 अग्निशमन के जवान आग पर काबू पाने में जुटे रहे, लेकिन सूखा अधिक होने से आग तेजी से फैल रही है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, आग वीरवार शाम से लगी हुई है। अग्निशमन विभाग और वन महकमे को इसकी सूचना शुक्रवार दोपहर 3 बजे के आसपास मिली थी।
आग से लाखों की वन संपदा और सैकड़ों वन्य जीव जलकर राख हो गए हैं। वन्य जीवों के आशियाने भी उजड़ गए हैं। जंगल में लगी आग से स्थानीय लोगों की घासनियां भी जलकर राख हो गई हैं। इससे ग्रामीणों को आने वाले दिनों में पशुओं के लिए चारे की किल्लत झेलनी पड़ेगी।
जंगल में आग के बाद ITBP कैंप, फायल और धारी के स्थानीय लोग डरे हुए हैं, क्योंकि जंगल के आसपास कई गांव बसे हैं। आग पर जल्द काबू नहीं पाया गया, तो यह लोगों के घरों को भी अपनी चपेट में ले सकती है।
प्रदेश में बीते 22 दिनों के दौरान 315 से अधिक आग की घटनाओं में 2500 हैक्टेयर से अधिक जंगल जलकर राख हो गए हैं। हिमाचल में कुल 2026 वन बीट हैं। 339 वन बीट अति संवेदनशील, 667 संवेदनशील तथा 1020 बीट सामान्य हैं। बिलासपुर में 27, चंबा 18, धर्मशाला 37, हमीरपुर 9, कुल्लू 12, मंडी 82, रामपुर 35, नाहन 32, शिमला 49, वन्य प्राणी धर्मशाला 17, जी.एच.एन.वी शमशी में 9 वन बीट अति संवेदनशील हैं। इनमें हर साल वन अग्नि की ज्यादा घटनाएं होती हैं।