कोरबा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय किसानों के हित को लेकर काफी गंभीर हैं। मगर प्रशासन के अधिकारी– करचारियों को अन्नदाताओं के प्रति जरा भी संवेदना नही है। कोरबा में खाद्य विभाग के एक अधिकारी ने एक किसान को बेवजह प्रताड़ित किया। बाहर का धान लाने के संदेह में धान की बिक्री पर रोक लगा दी। किसान गुहार लगाता रहा मगर अधिकारी को तरस नही आया। धान बेचने के लिए किसान 12 घंटे तक भटकना पड़ा। अधिकारी की इस करतूत की वजह से किसान काफी आहत है।
चेहरे पर गमछा लपेटे इस किसान का नाम राजकुमार है। कल्गामार गांव में रहने वाला राजकुमार करीब 150 क्विंटल धान लेकर भैसमा धान खरीदी केंद्र पहुंचा था। सुबह के करीब 8 बजे थे। केंद्र खुलने में 1 घंटे का वक्त था। इसी दौरान फूड इंस्पेक्टर उर्मिला गुप्ता मौके पर पहुंची और राजकुमार द्वारा लाए धान की जांच करने की बात कहते बिक्री पर रोक लगा दी। मैडम को इतनी जल्दी थी कि उन्होंने केंद्र प्रभारी के आने का इंतजार भी नही किया और ना ही बात करने का प्रयास किया। धान बिक्री पर रोक लगाकर उर्मिला गुप्ता किसान राजकुमार के गांव के लिए निकल पड़ी। करीब 12 घंटे बीत गए। किसान राजकुमार भूखे–प्यासे केंद्र में बैठा रहा। आखिर में पता चला कि किसान के धान में कोई गड़बड़ी नहीं है। अधिकारी की मनमानी के कारण किसान काफी आक्रोशित है। वही फूड इंस्पेक्टर की जांच कार्रवाई में कई सवाल उठने लगे है। सरकार ने किसानों को 2 साल का बोनस दिया। वही धान का समर्थन मूल्य 3100 रुपए कर दिया गया। बीजेपी सरकार की इस सौगात से अन्नदाताओं में खुशी की लहर है। मगर सरकारी नुमाइंदे इस खुशी पर ग्रहण लगाने में लगे हैं। किसान राजकुमार भी फूड इंस्पेक्टर के टॉर्चर का शिकार हुआ है। अब देखना होगा अपने पावर का दुरुपयोग कर अन्नदाता को प्रताड़ित करने वाली फूड इंस्पेक्टर के खिलाफ क्या एक्शन लिया जाता है।