खान सचिव पूजा सिंघल और उसके करीबियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई दूसरे दिन भी जारी है। पूजा के पति अभिषेक झा के रांची स्थित पल्स हॉस्पिटल में सुबह-सुबह ED के अधिकारी जांच करने पहुंचे। साथ ही देश के 11 ठिकानों पर सर्च जारी है।
इससे पहले शुक्रवार को 25 ठिकानों पर रेड मारी गई। 16 घंटे तक चली इस कार्रवाई में सिंघल के CA सुमन सिंह के रांची के हनुमान नगर आवास से 19.31 करोड़ कैश मिले हैं। कार्रवाई के दौरान करीब 150 करोड़ की संपत्ति के दस्तावेज भी मिले हैं। टीम ने पूजा के ससुर कामेश्वर झा के मुजफ्फरपुर के घर, दिल्ली में रहने वाले उनके भाई और माता-पिता और सहयोगियों के यहां भी दबिश दी है।
टीम ने कोलकाता, मुंबई, जयपुर, गुरुग्राम और फरीदाबाद में भी दबिश दी। देर रात टीम सभी कागजातों को अपने साथ ले गई। खूंटी में हुए मनरेगा घोटाले में ED ने JE रामविनोद सिन्हा को गिरफ्तार किया था। उससे 4.25 करोड़ की संपत्ति भी जब्त हुई थी। उसने बताया था कि DC तक पैसे जाते थे। उस समय पूजा सिंघल खूंटी की DC थीं। माना जा रहा है कि 18 करोड़ रुपए के मनरेगा घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले और माइंस के आवंटन में अनियमितता से जुड़े केस में यह कार्रवाई हुई है।
खान सचिव पूजा सिंघल पर शुक्रवार को हुई ED की कार्रवाई अचानक नहीं हुई। इसकी पृष्ठभूमि पहले से ही तैयार हो गई थी। दरअसल, केंद्र सरकार ने राजभवन से राज्य के दागी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की सूची मांगी थी। ऐसे अधिकारियों की पूरी डिटेल्स देने को कहा गया था। करीब एक महीने पहले राज्य सरकार ने चार अधिकारियों के नाम राजभवन को भेजे थे।
इनमें रांची DC छवि रंजन, ATI निदेशक के. श्रीनिवासन, भवन निर्माण सचिव सुनील कुमार और मनोज कुमार शामिल थे। राजभवन ने अपने स्तर से इस सूची में सात और अधिकारियों के नाम जोड़कर कुल 11 अधिकारियों की सूची केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी थी। राजभवन की ओर से जिन अधिकारियों के नाम सूची में जोड़े गए थे, उनमें सबसे ऊपर पूजा सिंघल का नाम था।
सूत्रों का कहना है कि जल्दी ही कई और अधिकारियों पर ED की कार्रवाई होने की संभावना है। इसमें CMO के एक अफसर और मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले निर्माण कार्य से जुड़े कई विभागों के प्रधान का पद संभाल रहे एक अधिकारी भी शामिल हैं। इसके अलावा बाह्य कोटा से आए एक प्रभावशाली व्यक्ति पर भी ED की कार्रवाई होने की संभावना है।
राजभवन ने एक फरवरी को राज्य सरकार को पत्र भेजा था। लिखा था कि जिन अफसरों के खिलाफ निगरानी जांच और केस चल रहे हैं या लंबित हैं, राज्य सरकार उनके बारे में 15 दिन में रिपोर्ट दें। नाम के साथ मामले का पूरा विवरण और स्टेटस रिपोर्ट देने की हिदायत भी दी थी। राजभवन को एक माह पहले रिपोर्ट मिली थी।